शुक्रवार, 6 जनवरी 2012

धूप का आशीर्वाद


सुहानी धूप के दिनों में एक पुराने मोहल्ले की एक पुरानी दादी माँ याद आती हैं। यह धूप घड़ी पढ़ने वाली दादी माँ थीं। धूप सामने वाले खंभे पर कहाँ चढ़ी है, दीवार पर कहाँ तक पहुँची है इससे वे समय बता दिया करती थीं, हालाँकि मोटे तौर पर ही। दादी माँ धूप को बहुत प्यार करती थीं। सर्दियों में गुनगुनी धूप का मजा लेने के लिए, अपनी छोटी सी चटाई लेकर वे, पास के सार्वजनिक भवन के आँगन में पहुँच जातीं और अपनी चटाई बिछा कर बैठ जातीं। जैसे-जैसे धूप का टुकड़ा जगह बदलता, वे भी अपनी चटाई खिसकाती जातीं और नए टुकड़े का आनंद लेतीं। पुराने घरों में आँगन की धूप बहुत सी महिलाओं की सखी-सहेली रही है। यह धूप उनकी हड्डियों को ताकत देती थी, शरीर को ऊर्जा और मन को खुशी। आज की स्त्रियों और किशोरियों को धूप का सेवन करने के वैसे मौके नहीं मिल पाते हैं। मगर सर्दियों की धूप लेना उनके लिए भी अच्छा है। अब तो इस बात की ताकीद करने के लिए कई अनुसंधान भी गए हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि धूप मूड एलिवेटर है। बंद जगहें और बुझा-बुझा मौसम आपको उदास करता है। इसे सीजनल इफेक्ट डिसऑर्डर कहा जाता है। मगर उजली धूप में निकलने से मूड अच्छा हो जाता है! इस प्रकाश और ऊष्मा से मस्तिष्क में सिरेटॉनिन नामक हारमोन का स्तर बढ़ जाता है, जो कि खुशी का हारमोन है। अत: सर्दियों की गुनगुनी धूप अक्सर अवसादरोधी का भी काम करती है। धूप से विटामिन डी भी प्राप्त होता है जो कि शरीर में कैल्शियम के अवशोषण के लिए आवश्यक है। विटामिन डी से हड्डियों को मजबूती मिलती है। ऑस्टिेयोपोरोसिस का खतरा कम होता है। गुनगुनी धूप में बैठने से शरीर का सिकाव भी हो जाता है, इससे सर्दियों में होने वाले जोड़ों के दर्द, जकड़न में आराम मिलता है। किशोरियों का बढ़ता शरीर हो, मध्यवय स्त्री के मेनुपॉज का वक्त या बुढ़ापे में गलती हड्डियाँ हर उम्र में धूप सेवन के अपने फायदे हैं। हाँ, गर्मी की कड़कड़ाती धूप जो माइग्रेनकारक हो, प्यास, बेहोशी, लू लगने आदि का कारण बन जाए उसे तो टाला जाना चाहिए। सर्दी में भी पराबैंगनी किरणों से आँखों और चेहरे की त्वचा की रक्षा करना भी आवश्यक है। इसके उपाय किए जाने के बाद, शरीर पर सर्दी की धूप ली जाए तो यह ऊर्जा, खुशी, विटामिन डी सबकुछ देगी। आखिर हम सबको धूप का आशीर्वाद तो चाहिए ही।

दड़बों जैसे ऑफिस, बहुमंजिला भवनों के आंगन-बगीचा-दालान रहित घरों में घुटन महसूस करते लोगों और कम्प्यूटर, टीवी के घरघुस्सू मनोरंजन से ऊबे लोगों में बाग-बगीचों की सै, टिफिन पार्टी और पिकनिक का चलन अब लौट रहा है। इस बतबस को नए रूप में चाहें तो सर्दियों की दोपहर में सनशाइन पार्टी की जा सकती है जिसके ड्रेस कोड में बड़ी रिम वाला गोल हैट और गॉगल्स शामिल किए जा सकते हैं, बाकी पहनावा चाहे अनौपचारिक हो।

निर्मला भुराड़िया

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